जनता परेशान है,हाल
बेहाल है
हर ओर हहाकार है
,लूट और भ्रष्टाचार है
इंसानीयत के नाम
से,लोग अनजान है.
न्याय की कूर्सियो
पे ,बैठा शैतान है
साधुओ के वेश में
,ठगों का सरदार है.
जनता परेशान है, हाल
बेहाल है.
बढ़ रहा दलहन और तिलहन का दामहै,
नेताओ को सिर्फ “बीफ” से प्यार है .
जनता परेशान है ,हाल बेहाल है
किसी को मुस्लिम से सरोकार है
कोई हिन्दुत्व का ठिकेदार है
इंसानीयत के नाम पे सभी कंगाल है
जनता परेशान ,हाल बेहाल है....
धर्म के नाम पे बट
रहा समाज है
लड़ रहा ,कट रहा सभी
इंसान है
क्या फर्क उनको
जिनके सर पे ताज है ??
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है.....
बिगड़ रहा सदभाव है,
कालीखो से खिलवाड़ है
साहित्य का अपमान
है,
रो रहा साहित्यकार
है,लौटा रहा पुरस्कारहै
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है......
देश के हर कोने में,
“दादरी” सा हाल है
कोई शिवाजी का लाल
है,
तो कोई अकबर महान है
भारतीय होने का किसी
को ना ख्याल है
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है.....
विकास के नाम पे
ठग रहा गुनेहगार है
समानता के नाम पे
,आरक्षण की भरमार है
छोटे तो छोटे , बड़ो
को भी दरकार है
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है.....
डिजिटल इंडिया की
चाह है,
गांवो में फैला
अंधकार है
वोट के चाह में लड़
रहा सरकार है,
क्या p.m क्या c.m
??
सबको कुर्सी से ही
प्यार है
जनता परेशान है, हाल
बेहाल है....
महिला सुरक्षा तो बस
एक ख्याल है
लुट रही उनकी आबरू
अब तो सरेआम है
आरोप प्रत्यारोप में
व्यस्त सरकार है
जनता परेशान है, हाल
बेहाल है....
शिक्षा के क्षेत्र
में बड़ा ही बुरा हाल है
विद्यालय तो है पर
शिक्षकों का आभाव है
बेरोजगारी की मार सह
रहा नौजवान है
रोजगार के नाम पे
वादों का भंडार है
जनता परेशान है हाल
बेहाल है....
भारतीय संविधान का
भी यही हाल है
एक मुकदमा चलता सालो
साल है
मुजरिम फरार है,जेल
में हड़ताल है
प्रशासन के नाम पे,
फैला जंगलराज है
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है....
आंदोलन की आड़ में,
राजनीती का आगाज है
पहले भूख
हड़तालहै,लाठियो का मार है
फिर जनता को लूटने
का पूरा अधिकार है
जनता परेशान है हाल
बेहाल है.......
सीमा पे खड़ा चाइना
और पाकिस्तान है
घुसपैठ करने को हर
वक्त तैयार है
आए दिन मर रहा हमारा
एक जवान है
आन्तरिक कलेश से
,जूझ रहा हिन्दुस्तान है
जनता परेशान है,हाल
बेहाल है.................
ध्नयवाद !
विशाल